दशहरा मुबारक

नया दशहरा और नया सवेरा 

दशानन के दस सर होने पर भी
उसने एक ही गलत काम किया
और उस एक ग़लती की सज़ा
मृत्यु का वरन करने के बाद भी
वो आज तक भुगत रहा है.
लेकिन क्या आज के ज़माने में
ये ही सजा एक सर वाले किसी इन्सान को
आसानी से मिल सकती है
या फिर ऐसी सज़ा दी जा सकती है
तो फिर क्यूँ ना आज के बदलते वक़्त में
पुराने रावण की ये सजा
बदल या बंद नहीं कर दी जाय
ताकि केवल ऐसी  सजा
समय, काल, और परिवर्तित परिस्थिति  में भी
प्रासंगिक रह सके
बल्कि जुर्म की परिभाषा और उसकी सजा भी
बदलते परिवेश में उतनी ही प्रभावी रह सके
जिसके आधार पर हम नए रावणों के नए जुर्मों की
नयी सजाएं तजवीज़ करने का हौसला इक्कठा कर सकें
और समाज को ज्यादा संगठित और सुरक्षित रख सकें.

No comments:

Post a Comment