मैं खुदा का नेक बंदा हूँ अपनी बात सुनाता हूँ


कैसे कहूं कि सुन नहीं सकता हूँ
कैसे कहूं  कि बोल भी नहीं सकता हूँ
इशारों इशारों के ज़रिये समझता हूँ समझाता हूँ
मैं खुदा का नेक बंदा हूँ अपनी बात सुनाता हूँ.

जब अपनी ही सांस लेने तक कि आवाज़
अपने ही कानों को सुनायी तक दी
और मां कहकर अपनी ही मां को बुलाने की आवाज़
अपने ही ओंठों तक आकर भी मां को सुनायी दी
तब मन मचल पड़ा ये तड़पकर चिल्लाने को
मां !   
कैसे कहूं कि सुन नहीं सकता हूँ
कैसे कहूं  कि बोल भी नहीं सकता हूँ

मां ने ही सबसे पहले सुना मेरी उस आवाज़ को
जिसे मैंने निकला था अपने बंद ओंठो से
मां ने ही सबसे पहले बाबा को बताया था 
कि मैं सुन नहीं सकता और बोल भी नहीं सकता हूँ
कि जिस्म हूँ पर जान नहीं हूँ
इन्सान हूँ पर पहचान नहीं हूँ
खुदा का बंदा ज़रूर हूँ पर
हर पल पहचान का मोहताज़ हूँ
जो मैं समझता हूँ वोह बता नहीं सकता हूँ
जो आप समझते हैं वोह मैं समझ नहीं पाता हूँ 
जो आप सुनाते है वोह मैं सुन नहीं सकता हूँ
जो मैं नहीं सुन पाता हूँ उसे आप नहीं समझ पाते हैं

ये कैसा सन्नाटा है ....... ये कैसी गूँज है
जो सुनाये सुन नहीं पाता हूँ
और बताये बोल नहीं पाता हूँ
या अल्लाह ये कोई गुनाह कि सजा है मेरी
या मेरी सजा की माफ़ी का तुम्हारा कोई नया अंदाज़ है
मेरे परवर दिगार ....... मेरे ईश्वर ..... मेरे मौला
मेरी आवाज़ को बुलंदी दे
मेरी सुनने की खोयी शक्ति को वापस दे   
मैं समझ गया हूँ कि ये मेरी मुश्किल परीक्षा है
जिसे पास करके ही अगले पड़ाव तक जाना है.

मेरे मालिक मुझे सहारा दे, मन की शक्ति दे
ताकि मैं चारों पहर तेरा नाम स्मरण कर सकूं
और अपने जीवन मैं तेरे ज्ञान और स्वरुप का प्रकाश भरके
अपनी आत्मा को उज्वल कर सकूं
और फिर गर्व से कह सकूं
कि अब सब कुछ सुन सकता हूँ
समझ सकता हूँ और समझा भी सकता हूँ.
मैं खुदा का नेक बंदा हूँ अपनी बात सुनाता हूँ.

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