उच्च न्यायालय ग्वालियर खण्डपीठ के न्यायमूर्ति पीयूष माथुर का इस्तीफा 

ग्वालियर/इंदौर . मप्र उच्च न्यायालय ग्वालियर खण्डपीठ के न्यायमूर्ति पीयूष माथुर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। श्री माथुर ने एक सितंबर तक मामलों की सुनवाई की और उसी दिन अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को भेज दिया। प्रदेश के न्याय जगत में संभवत: यह पहला मामला है जब किसी पदासीन न्यायमूर्ति ने स्वयं इस्तीफा दिया है। उधर रजिस्ट्रार जनरल टीके कौशल ने इस्तीफा स्वीकार होने के बारे में किसी तरह की जानकारी से इनकार किया है। 

न्यायमूर्ति माथुर ने अपने इस्तीफे में तो कोई शर्त रखी है और ही कोई खास कारण बताया है। उन्होंने इस बात का उल्लेख अवश्य किया है कि वे निजी कारणों से अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं। ग्यारह माह पूर्व न्यायाधीश बने न्यायमूर्ति माथुर ने 14 अक्टूबर 2009 को हाईकोर्ट जबलपुर में शपथ ग्रहण की थी। 

उसके बाद 20 अक्टूबर 2009 को ग्वालियर खण्डपीठ में पदभार संभाला था। दिनभर चला चर्चाओं का दौर उच्च न्यायालय ग्वालियर परिसर में शुक्रवार को न्यायमूर्ति पीयूष माथुर के इस्तीफे के मामले को लेकर गहमागहमी का दौर रहा। दरअसल, एक सितंबर 2010 को शाम तक वह अपनी पीठ पर आसीन थे। उन्होंने नियत समय तक लंबित मामलों की सुनवाई की। दूसरे दिन जन्माष्टमी का अवकाश था। उसके बाद जब शुक्रवार को निर्धारित समय पर उच्च न्यायालय का कामकाज आरंभ हुआ, तभी उनके इस्तीफे की चर्चा ने जोर पकड़ा।

जानकारी के मुताबिक, एक सितंबर को अदालत उठने के बाद ही न्यायमूर्ति माथुर ने अपना सरकारी मोबाइल फोन और कम्प्यूटर ग्वालियर खण्डपीठ में जमा करा दिया। इससे पहले वे राष्ट्रपति के नाम अपना इस्तीफा भेज चुके थे। 

इसमें उन्होंने लिखा कि उनका इस्तीफा एक सितंबर 2010 को शाम 4.30 के बाद स्वीकार माना जाए। देर शाम उच्च न्यायालय ग्वालियर खण्डपीठ के रजिस्ट्रार बीडी राठी ने न्यायमूर्ति माथुर द्वारा सरकारी मोबाइल फोन और कम्प्यूटर लौटाए जाने की पुष्टि की, पर इस्तीफा मंजूर होने या होने के संबंध में किसी तरह की जानकारी होने से इनकार किया

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